20 नवंबर 2019

जब से बसे हो आँख में



जब से ऐ दर्द तुझसे *शनासाई बढ़ गई
चेहरे की मेरे तब से ही *रानाई बढ़ गई

आंसू बहुत ही खर्च हुये ख़ातिर-ए-वफ़ा
दुनिया में यारों कितनी मंहगाई बढ़ गई

लम्हें, महीने, घंटे, दिन, ये साल ओ' सदी
तन्हाईयों से आगे भी तन्हाई बढ़ गई

आने लगे हैं ख़्वाब में, अब रंग सौ नज़र
जब से बसे हो आँख में, बीनाई बढ़ गई

उड़ते रहे कपूर की तरह, ये सुख नदीश
पर्वत की तरह दर्द की, वो राई बढ़ गई

शनासाई- जान-पहचान, परिचय
रानाई- सौंदर्य, चमक
बीनाई- दृष्टि, विज़न


15 टिप्‍पणियां:

  1. बेहद उम्दा....

    आपका मेरे ब्लॉग पर स्वागत है|

    https://hindikavitamanch.blogspot.com/2019/11/I-Love-You.html

    जवाब देंहटाएं
  2. आंसू बहुत ही खर्च हुये ख़ातिर-ए-वफ़ा
    दुनिया में यारों कितनी मंहगाई बढ़ गई
    बेहद उम्दा... लाजवाब ग़ज़ल.

    जवाब देंहटाएं