नज़र को आस नज़र की है मयकशी के लिए
तड़प रहे हैं बहुत आज हम किसी के लिए
ये ग़म हयात के न जाने ख़त्म कब होंगे
मुंतज़िर है ये दिल इक लम्हें की खुशी के लिए
नहीं लगता है ये मुमकिन मुझे सफ़र तन्हा
हमसफ़र चाहिए मुझको भी ज़िन्दगी के लिए
गाँव में यादों के छाई है जो सावन की घटा
बरस ही जाए तो अच्छा है तिश्नगी के लिए
धूप रख के भी अंधेरों से वफ़ा की हमने
आज दिल भी जलाएंगे रोशनी के लिए
ढलें तो आँख से आंसू मगर ग़ज़ल की तरह
उम्र नदीश की गुजरे तो शायरी के लिए
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में रविवार 15 सितम्बर 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आदरणीया
हटाएंबेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आदरणीया
हटाएंधूप रख के भी अंधेरों से वफ़ा की हमने
जवाब देंहटाएंआज दिल भी जलाएंगे रोशनी के लिए.....बढ़िया !
बहुत बहुत आभार आदरणीया
हटाएंबहुत खूब ... बादल बरस जाएँ तो तिश्नगी बुझे ... गज़ब का ख्याल है ...
जवाब देंहटाएंलाजवाब ग़ज़ल ...
बहुत बहुत आभार आदरणीय
हटाएं.. वाह बहुत खूबसूरत गजल लिखी है आपने लोकेश जी
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार अनु जी
हटाएंThanks for sharing ! Send Valentines Day Gifts Delivery
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