शब्दों की जुबानी लिखता हूँ
गीतों की कहानी लिखता हूँ
दर्दों के विस्तृत अम्बर में
भावों के पंछी उड़ते हैं
नाचे हैं शरारे उल्फ़त के
जब तार हृदय के जुड़ते हैं
हर सुबह से शबनम लेकर
फिर शाम सुहानी लिखता हूँ
जब दर्द से जुड़ता है रिश्ता
हर बात प्रीत से होती है
तब भावनाओं के धागे में
अश्क़ों को आँख पिरोती है
ऐसे ही अपनेपन को मैं
रिश्तों की निशानी लिखता हूँ
पानी में आँखों के भीतर
ये नमक ग़मों का घुलता है
जब नेह की होती है बारिश
तब मैल हृदय का धुलता है
दरिया के निर्मल जल सा मैं
आँखों का पानी लिखता हूँ
बेहतरीन रचना आदरणीय 👌👌👌
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर 👌👌👌
जवाब देंहटाएंदरिया के निर्मल जल सा मैं
जवाब देंहटाएंआँखों का पानी लिखता हूँ
बेहतरीन रचना
बहुत ही बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंदर्दों के विस्तृत अम्बर में
जवाब देंहटाएंभावों के पंछी उड़ते हैं
नाचे हैं शरारे उल्फ़त के
जब तार हृदय के जुड़ते हैं...
बहुत ही सुंदर रचना आदरणीय लोकेश जी। बधाई ।
बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुन्दर लोकेश जी।
जवाब देंहटाएंपानी में आँखों के भीतर
जवाब देंहटाएंये नमक ग़मों का घुलता है
जब नेह की होती है बारिश
तब मैल हृदय का धुलता है
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्त ,सादर नमस्कार
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार १० मई २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (13-05-2019) को
" परोपकार की शक्ति "(चर्चा अंक- 3334) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
....
अनीता सैनी
सुबह की शबनम से सुहानी शाम को देखना ...
जवाब देंहटाएंकमाल की सोच ... लाजवाब रचना ...
लाजवाब ,बधाई हो
जवाब देंहटाएंबहुत हि सुंदर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंगहरे भाव ...
जवाब देंहटाएंमन से निकले दर्द की धारा है जैसे ... बहता हुआ दर्द ...
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