दिल मेरा जब लेकर तेरा नाम धड़कने लगता है
वीरां-वीरां आँखों में एक ख्वाब चमकने लगता है
साँसों की ही खातिर तुझको माँगा है इस जीवन ने
तुझको न सोचे तो ये दिल यार मचलने लगता है
चुभ जाते हैं अश्क़ों के कांटे यादों के बिस्तर पे
नींदों का पतझर आकर बेज़ार दहकने लगता है
जुगनू, खुश्बू, चाँद-सितारे, बादल, गुलशन और फिज़ा
जब तुम मेरे पास न हो तो माहौल अखरने लगता है
कैसे हाल सुनाये अपने दिल का तुमको कहो नदीश
आँखों से आंसू बनकर ये दर्द छलकने लगता है
Bahut sunder rachna
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीया
हटाएंवाह्ह्ह....वाह्ह्ह... बेहद लाज़वाब ग़ज़ल लोकेश जी👌👌👌
जवाब देंहटाएंज़ज़्बातों को शब्दों में पिरोना आपकी लेखनी की खासियत है।बहुत पसंद आयी ग़ज़ल।
बहुत धन्यवाद श्वेता जी
हटाएंदिल मेरा जब लेकर तेरा नाम धड़कने लगता है
जवाब देंहटाएंवीरां-वीरां आँखों में एक ख्वाब चमकने लगता है ...
Great
बहुत बहुत शुक्रिया
हटाएंआप की गजलें सचमुच गजल की सभी खूबियों से सजी और गजल के प्रतिमानों पर खरी उतरती है।
जवाब देंहटाएंबेहद आकर्षक गजल।
बहुत बहुत शुक्रिया
हटाएंहमेशा की तरह बहुत सुन्दर ग़ज़ल ।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका
हटाएंचुभ जाते हैं अश्क़ों के कांटे यादों के बिस्तर पे
जवाब देंहटाएंनींदों का पतझर आकर बेज़ार दहकने लगता है
बेहतरीन गजल लोकेश जी
दर्द आँखों से छलक उठता है .।.
जवाब देंहटाएंहर शेर लाजवाब है ... पूरी ग़ज़ल दमदार ।.।
हार्दिक आभार आपका
हटाएंati sundar
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका
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