सांसों ने चाहा ओ' दिल ने दुआ दी
मिला साथ तेरा ज़िन्दगी मुस्कुरा दी
सोचा था भुलाऊंगा यादों को तेरी
मगर याद ने सारी दुनिया भुला दी
ग़ज़ब कर दिया मेरे एहसास ने भी
मुहब्बत को तन्हाईयों की सज़ा दी
जिससे भी सीखा हो फूलों ने हँसना
मगर चाहतों को तुम्हीं ने हवा दी
वही कह रहे हैं मुझे बेवफ़ा अब
जिन्हें तोहफ़े में हम ही ने वफ़ा दी
उसकी आरज़ू में नदीश हमने अपनी
उम्र ये सारी तन्हा-तन्हा बिता दी
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 3दिसंबर2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीया
हटाएंवाह!!!!
जवाब देंहटाएंलाजवाब....
आभार आदरणीया
हटाएंबहुत ख़ूब !
जवाब देंहटाएंबढ़िया , क्या रचना है
आभार आदरणीय
जवाब देंहटाएंवाह बहुत उम्दा।
जवाब देंहटाएंबेहद शुक्रिया
हटाएंग़ज़ब कर दिया मेरे एहसास ने भी
जवाब देंहटाएंमुहब्बत को तन्हाईयों की सज़ा दी......
कमाल की बात लिखी दी आपने !
बेहद शुक्रिया
हटाएंबहुत खूब 👌👌👌
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंजिससे भी सीखा हो फूलों ने हँसना
जवाब देंहटाएंमगर चाहतों को तुम्हीं ने हवा दी।
वाह बहुत ही ख़ूब।।
हार्दिक आभार आपका
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