भला मायूस हो क्यूँ आशिकी से चाहते क्या हो?
अभी तो आग़ाज़ ही है फिर अभी से चाहते क्या हो?
कहाँ हर आदमी दिल चीर के तुमको दिखायेगा
बताओ यार तुम अब हर किसी से चाहते क्या हो?
फ़क़त हों आपके आँगन में ही महदूदो-जलवागर
घटा से धूप से और चांदनी से चाहते क्या हो?
वफायें रोक लेंगी तुमको मेरी, है यकीं मुझको
दिखाकर इस तरह की बेरुखी से चाहते क्या हो?
छिपा सकते हो कब तक खुद से खुद को तुम नदीश
चुराकर आँख अपनी आरसी से चाहते क्या हो?
महदूदो-जलवागर- सीमित और रौशन
वाह्ह्ह......बहुत खूब👌👌
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर!!!
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय
हटाएंहम तो वाह वाह ही कहेंगे, और चाहते क्या हो....
जवाब देंहटाएंशानदार
आभार आदरणीय
हटाएंBahut Hi Shandar
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय
हटाएंवाह बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबेहद शुक्रिया आदरणीया
हटाएंबेहतरीन से भी बेहतरीन
जवाब देंहटाएंशुक्रिया आपका
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