चुन लिया जबसे ठिकाना दिल का।
खूब मौसम है सुहाना दिल का।।
सांस लेना भी हो गया मुश्किल
खेल समझे थे लगाना दिल का।।
कैसे करते न नाम पर तेरे
मुस्कुराहट है या बयाना दिल का।।
थक गई है उनींदे रस्तों से
नींद को दे दो न शाना दिल का।।
भूल जाओ 'नदीश' अब ख़ुद को
इश्क़ है, रोग पुराना दिल का।।