ये सहज प्रेम से विमुख ह्रदय
क्यों अपनी गरिमा खोते हैं
समझौतों पर आधारित जो
वो रिश्ते भार ही होते हैं
क्षण-भंगुर से इस जीवन सा हम
आओ हर पल को जी लें
जो मिले घृणा से, अमृत त्यागें
और प्रेम का विष पी लें
स्वीकारें वो ही उत्प्रेरण, जो
बीज अमन के बोते हैं
आशाओं का दामन थामे
हर दुःख का मरुथल पार करें
इस व्यथित हक़ीकत की दुनिया में
सपनो को साकार करें
सुबह गए पंक्षी खा-पीकर, जो
शाम हुई घर लौटे हैं
जो ह्रदय, हीन है भावों से
उसमें निष्ठा का मोल कहाँ
उसके मानस की नदिया में
अनुरागों का किल्लोल कहाँ
है जीवित, जो दूजे दुख में
अपने एहसास भिगोते हैं
बेहतरीन..., लाजवाब...., अत्यन्त सुन्दर ।
जवाब देंहटाएंआपका हार्दिक आभार
हटाएंक्या खूबसूरत अंदाज़ है. मन को उभरानेवाली एक दिलकश रचना
जवाब देंहटाएंआपका हार्दिक आभार
हटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना मंगलवार ८ जनवरी २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
आपका हार्दिक आभार आदरणीया
हटाएंस्वीकारें वो ही उत्प्रेरण, जो
जवाब देंहटाएंबीज अमन के बोते हैं.......बहुत खूब .........
आपका हार्दिक आभार
हटाएंबहुत सुन्दर, प्रेरक और भावपूर्ण अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंआपका हार्दिक आभार
हटाएंवाह बहुत सुन्दर लाजवाब रचना।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन ...
जवाब देंहटाएंआशा और उम्मीद का दामन सदेव पकड़ के रखना चाहिए ...
जो है जीवन जीना चाहिए ... दूसरों के दुःख कम करके जीना चाहिए ...
सुन्दर शब्द ...
उत्कृष्ट सृजन....
जवाब देंहटाएंवाह!!!
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जवाब देंहटाएंwaah waah bahut sunder geet
जवाब देंहटाएंअप्रतिम
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है. https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2019/01/104.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार सर
हटाएंवाह
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रचना..
हटाएंवाह बहुत खूब आशावादी और सार्थक रचना ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर रचना, लोकेश जी!
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (15-04-2019) को "भीम राव अम्बेदकर" (चर्चा अंक-3306) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
- अनीता सैनी
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जवाब देंहटाएंखूबसूरत एहसास की सुंदर रचना
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