वीरानियों का वो आलम है दिल में
मर्ग-ए-तमन्ना का मातम है दिल में
ठहरा हुआ है अश्क़ों का बादल
सदियों से बस एक मौसम है दिल में
धुंधला रही है तस्वीर-ए-ख़्वाहिश
उम्मीदों का हर सफ़ह नम है दिल में
मुझको पुकारा है तूने यकीनन
ये दर्द शायद तभी कम है दिल में
हँस कर हँसी ने हँसी में ये पूछा
बताओ नदीश क्या कोई ग़म है दिल में
मर्ग-ए-तमन्ना- तमन्ना की मौत
सफ़ह- पृष्ठ, पेज
आदरणीय लोकेश जी -- दर्द की कैफियत को जताते बहुत उम्दा अशारात !!!!!ये शेर मुझे विशेष काबिलेदाद लगा --
जवाब देंहटाएंठहरा हुआ है अश्क़ों का बादल
सदियों से बस एक मौसम है दिल में--
मेरी ओर से हार्दिक शुभकामनाएं |
बेहद आभार आदरणीया
हटाएंदर्द की कैफियत को जताते बहुत ही उम्दा अशारात आदरणीय लोकेश जी -
जवाब देंहटाएंये शेर मुझे ख़ास काबिलेदाद लगा --
ठहरा हुआ है अश्क़ों का बादल
सदियों से बस एक मौसम है दिल में!!!!!!!
मेरी हार्दिक शुभकामनायें स्वीकार हों | सादर --
बेहद आभार आदरणीया
हटाएंवाह लोकेश जी लाजवाब अस्आर एक से एक उम्दा।
जवाब देंहटाएंबेहद आभार आदरणीया
हटाएंवा...व्व...लोकेश जी, दर्द भरे दिल की बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंबेहद आभार आदरणीया
हटाएंबहुत खूब 👌
जवाब देंहटाएंबेहद आभार आदरणीया
हटाएंवाह ! सभी शेरों में गहरे अहसास।
जवाब देंहटाएंबहुत ही लाजवाब शेर हैं ग़ज़ल के ... अश्कों के बदल को बरस जाना ही अच्छा ... गज़ब शेर ...
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय
हटाएंबेहद आभार
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