पल भर तुमसे बात हो गई
ख़ुशियों की सौग़ात हो गई
दुश्मन है इन्सां का इन्सां
कैसी उसकी जात हो गई
आँखों में है एक कहकशां
अश्कों की बारात हो गई
वक़्त, वक़्त ने दिया ही नहीं
बातें अकस्मात हो गई
जख़्म मिले ता-उम्र जो नदीश
रिश्तों की सौग़ात हो गई
*कहकशां- आकाशगंगा, गैलेक्सी
वाह्ह...लाज़वाब....शानदार....हर शेर बहुत अच्छा है लोकेश जी..हमेशा की तरह...सुंदर गज़ल👌👌
जवाब देंहटाएंबेहद शुक्रिया
हटाएंबहुत सुंदर गजल।
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीया
हटाएंखूबसूरत अशआर...
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीया
हटाएंवक़्त किसको वक़्त देता है ...
जवाब देंहटाएंमुहब्बत भी तो एक पल में हो जाती है ...
लाजवाब ग़ज़ल ...
आभार आदरणीय
हटाएंवक़्त, वक़्त ने दिया ही नहीं
जवाब देंहटाएंबातें अकस्मात हो गई
वाह बेहतरीन गजल लोकेश जी
हार्दिक आभार आपका
हटाएंबहुत सुन्दर 👌👌👌
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका
हटाएंवाह !! बहुत ख़ूब आदरणीय
जवाब देंहटाएंसादर
आभार आपका
हटाएंवाह, बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंवाह!! लाजवाब!!
जवाब देंहटाएंआभार आपका
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