कभी देखा नहीं तुमने कि ज़ख़्मों से भरा हूँ मैं
फ़क़त जीने को इक पल के लिये हर पल मरा हूँ मैं
नज़रअंदाज़ मुझको इस तरह से दिल ये करता है
कि जैसे अपने भीतर शख़्स कोई दूसरा हूँ मैं
ख़ुशी का ख़्वाब भी कोई कभी आता नहीं मुझको
कसौटी पे तेरी ऐ ग़म बता कितना खरा हूँ मैं
ख़लल पड़ जाए न ख़्वाबों में तेरे नींद से मेरी
ख़यालों की किसी आहट से भी कितना डरा हूँ मैं
खिज़ां कहती है मुझसे ये बहारें अब न आएंगी
उम्मीदे वस्ल, वजह से तेरी अब भी हरा हूँ मैं
रखा जब सामने उनके ये दिल तो हँस दिये खुलकर
बता मुझको 'नदीश' अब तू ही ये, क्या मसखरा हूँ मैं
#लोकेशनदीश
फ़क़त जीने को इक पल के लिये हर पल मरा हूँ मैं
नज़रअंदाज़ मुझको इस तरह से दिल ये करता है
कि जैसे अपने भीतर शख़्स कोई दूसरा हूँ मैं
ख़ुशी का ख़्वाब भी कोई कभी आता नहीं मुझको
कसौटी पे तेरी ऐ ग़म बता कितना खरा हूँ मैं
ख़लल पड़ जाए न ख़्वाबों में तेरे नींद से मेरी
ख़यालों की किसी आहट से भी कितना डरा हूँ मैं
खिज़ां कहती है मुझसे ये बहारें अब न आएंगी
उम्मीदे वस्ल, वजह से तेरी अब भी हरा हूँ मैं
रखा जब सामने उनके ये दिल तो हँस दिये खुलकर
बता मुझको 'नदीश' अब तू ही ये, क्या मसखरा हूँ मैं
#लोकेशनदीश