वीरानियों का वो आलम है दिल में
मर्ग-ए-तमन्ना का मातम है दिल में
ठहरा हुआ है अश्क़ों का बादल
सदियों से बस एक मौसम है दिल में
धुंधला रही है तस्वीर-ए-ख़्वाहिश
उम्मीदों का हर सफ़ह नम है दिल में
मुझको पुकारा है तूने यकीनन
ये दर्द शायद तभी कम है दिल में
हँस कर हँसी ने हँसी में ये पूछा
बताओ नदीश क्या कोई ग़म है दिल में
मर्ग-ए-तमन्ना- तमन्ना की मौत
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